Sunday 28 September 2014

ये जिंदगी

मुझे याद है वो दिन,
जब घोड़ी मचल रही थी,
दोस्त नाच रहे थे,
हम शाही सवारी कर  रहे थे।

मुझे याद है वो दिन,
जब म्यूजिक बज रहा था,
अग्नि जल रही थी,
हम सात चक्कर ले रहे थे। 

मुझे याद है वो दिन,
जब घूँघट लम्बा था,
आवाज़ धीमी थी,
हम रंगीन सपने बुन रहे थे।

मुझे याद है वो दिन,
जब कुछ बदल रहा था,
आँगन में फूल खिल रहा था,
हम खुशी से झूम रहे थे।

आज मैं लिख रहा हूँ,
वो सुन रही है।
एक पढ़ रहा है,
एक खेल रही है।
दुनिया.... कुछ पूरी पूरी लग रही है।

---किशन सर्वप्रिय 

Saturday 13 September 2014

काश, काश न होता

काश, काश न होता ।
तो मैं, मैं न होता ।
तू, तू न होता ।
बस इन्सान, इन्सान होता ।।

काश, काश न होता ।
तो मज़हब, मज़हबी न होता ।
मन्दिर, मश्जिद न होता ।
बस ईश्वर, ईश्वर होता ।

काश, काश न होता ।
तो सपना, सपना न होता ।
सिर्फ़ तेरा, तेरा न होता ।
मेरा सपना भी अपना होता ।।

काश, काश न होता ।
तो ये दिल,दिल न होता ।
ये धड़कन, धडकन न होती ।
दिल धडकाने वाला भी कोई होता ।।

काश, काश न होता ।
तो ये तारे, ये सितारे यूँ न जगमगाते ।
इस दुनिया में हम यूँ न गुम हो जाते ।
हम भी अपना नाम चाँद पर लिख आते ।।

Monday 1 September 2014

तेरी रूश्वाई

तेरी रूश्वाई से तन्हा दिल,
अकेला भटकता रहा।
जुर्म हमदर्द के, तन्हा सहता रहा।
हमसे इतनी बेरुखी किस लिए,
दर्द-ए-सितम हमने भी तो सहे।

दिल-ए-दर्द काश आँखों से कम होता,
तो आँखें नम, हम भी कर लेते।
जख्म-ए-दिल ख़ुशी से सह लेते।

काश दिल-ए-जख्मों पर मरहम तुम लगाती।
कभी तो मेरे टूटे दिल को समझाती।
शायद हमारी तुम्हारी भी कहानी बन पाती।

शायद मेरा प्यार ही झूठा था,
जो रात-ए-बेचैनी तुम पढ़ न पायी।
टूटते दिल की आवाज सुन न पायी।
डूब गया ये दिल,
उन बरसात की टिप-टिप बूंदों में
जो ठीक से बरस भी न पायी।

जब तेरे आँसू मेरे जनाजे पर निकलेंगे,
तो उनकी कोई कीमत न होगी।
फिर भी हम कोशिश करेंगे लौट आने की,
पर किसे पता, ख़ुदा-ए-मर्जी क्या होगी। …

             ---किशन सर्वप्रिय 

हर बार उलझ जाती हैं, आँखें मेरी

हर बार उलझ जाती हैं , आँखें मेरी। पता नही, क्यों? वो मुस्कुराती है पलके झुकाती है शरमाती है।। अपना पता बताये बगैर ही चली जाती है।। और फिर,...