काश, काश न होता ।
तो मैं, मैं न होता ।
तू, तू न होता ।
बस इन्सान, इन्सान होता ।।
काश, काश न होता ।
तो मज़हब, मज़हबी न होता ।
मन्दिर, मश्जिद न होता ।
बस ईश्वर, ईश्वर होता ।
काश, काश न होता ।
तो सपना, सपना न होता ।
सिर्फ़ तेरा, तेरा न होता ।
मेरा सपना भी अपना होता ।।
काश, काश न होता ।
तो ये दिल,दिल न होता ।
ये धड़कन, धडकन न होती ।
दिल धडकाने वाला भी कोई होता ।।
काश, काश न होता ।
तो ये तारे, ये सितारे यूँ न जगमगाते ।
इस दुनिया में हम यूँ न गुम हो जाते ।
हम भी अपना नाम चाँद पर लिख आते ।।
तो मैं, मैं न होता ।
तू, तू न होता ।
बस इन्सान, इन्सान होता ।।
काश, काश न होता ।
तो मज़हब, मज़हबी न होता ।
मन्दिर, मश्जिद न होता ।
बस ईश्वर, ईश्वर होता ।
काश, काश न होता ।
तो सपना, सपना न होता ।
सिर्फ़ तेरा, तेरा न होता ।
मेरा सपना भी अपना होता ।।
काश, काश न होता ।
तो ये दिल,दिल न होता ।
ये धड़कन, धडकन न होती ।
दिल धडकाने वाला भी कोई होता ।।
काश, काश न होता ।
तो ये तारे, ये सितारे यूँ न जगमगाते ।
इस दुनिया में हम यूँ न गुम हो जाते ।
हम भी अपना नाम चाँद पर लिख आते ।।
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