Thursday 13 March 2014

मैं सिग्नल कहलाता हूँ

मैं पटरी पर रहता हूँ
और हमेशा रहता हूँ 
दशकों से खड़ा हूँ 
और सजग अडा हूँ। 
किसी को लाल,
किसी को पीला,  तो 
किसी को हरा रंग
 दिखाता हूँ। 
यात्रियों कि सुरक्षा,
समय कि शीघ्रता
का बेडा उठाता हूँ। 
मैं सिग्नल कहलाता हूँ। 
मैं सिग्नल कहलाता हूँ। 


मैं पटरी पर रहता हूँ,
और सबसे कम खाता हूँ ,
फिर भी ... 
गाली ज्यादा पाता हूँ,
और सबसे पाता हूँ।
यात्री,जिनको सुरक्षित घर पहुँचाता हूँ,
उनसे भी देरी के लिए खाता हूँ। 
दुर्घटना  से देरी भली,
मालिक जानता  है ,
फिर भी 
गाली रोज सुनाता है। 
बचपन से सिखाया जाता है,
सुरक्षा का रंग लाल होता है,
फिर भी 
लाल रंग की ही सजा पता हूँ। 
मैं कमजोर तो नही,
पर मजबूर हूँ ,
क्योंकि 
लोगों कि जान का पहरेदार हूँ। 
वरना कोई यूँ न सुनाता,
और मैं चुप भी न रहता।
हाँ हाँ मैं चुप रहता हूँ , 
इसीलिए तो 
 मैं सिग्नल कहलाता हूँ। 
मैं सिग्नल कहलाता हूँ। 

                                                                               … किशन सर्वप्रिय  

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