Monday, 24 March 2014

चाँदनी रात हो

हाथों में हाथ हो
सितारों का साथ हो
चाँदनी रात हो
फिर क्या बात हो।

लम्बे काले बाल हों
गोरे गोरे गाल हों
लिपस्टिक लाल हो
मदमस्त चाल हो
फिर क्या हाल हो।

बाली से सजे कान हों
चहेरे पर मुस्कान हो
तू ही मेरी जान हो
तू ही मेरी पहचान हो।

दिन कि तकरार हो
रात का प्यार हो
फिर मिलने का इकरार हो
बस तुम्हारा ही इन्तजार हो।

हथेली तुम्हारी हो
कलम हमारी हो
अल्फाज तुम्हारे हों
राइटिंग हमारी हो
फिर देखो क्या शायरी हो।  

जहर पीना मुस्किल न हो
अगर स्ट्रा तुम्हारी हो,
फांसी का भी दर्द न हो
अगर चुनरी तुम्हारी हो। 

   ---किशन सर्वप्रिय 

No comments:

Post a Comment

हर बार उलझ जाती हैं, आँखें मेरी

हर बार उलझ जाती हैं , आँखें मेरी। पता नही, क्यों? वो मुस्कुराती है पलके झुकाती है शरमाती है।। अपना पता बताये बगैर ही चली जाती है।। और फिर,...