मुंह का पहला निबाला
जो माँ ने खिलाया
कुछ अलग स्वाद आया
फिर जो हमने मुंह बनाया
आज याद आता है
कभी हँसाता है,
जब हमने पहला कदम बढ़ाया
पहले लड़खड़ाया फिर गिराया
माँ ने उठाया, सीने से लगाया
उँगली पकड़ कर जो चलना सिखाया
आज याद आता है
कभी हँसाता है,
तो कभी रुलाता है।
माँ की वो शेर वाली बातें
छोटे दिन और लम्बी रातें
जब हम सिर्फ सोया करते थे
आज याद आती हैं
कभी हँसाती हैं,
तो कभी रुलाती हैं।
हर दिन का वो पल
माँ का शीतल आँचल
ममता चेहरा निष्चल
आज याद आता है
कभी हँसाता है,
तो कभी रुलाता है।
Outstanding
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