Wednesday 20 August 2014

बचपन की याद

मुंह का पहला निबाला
जो माँ ने खिलाया 
कुछ अलग स्वाद आया 
फिर जो हमने मुंह बनाया 
आज याद आता है 
कभी हँसाता है,
तो कभी रुलाता है।

जब हमने पहला कदम बढ़ाया
पहले लड़खड़ाया फिर गिराया 
माँ ने उठाया, सीने से लगाया 
उँगली पकड़ कर जो चलना सिखाया 
आज याद आता है 
कभी हँसाता है,
तो कभी रुलाता है। 

माँ की वो शेर वाली बातें 
छोटे दिन और लम्बी रातें 
जब हम सिर्फ सोया करते थे 
आज याद आती हैं  
कभी हँसाती हैं,
तो कभी रुलाती हैं।  

हर दिन का वो पल 
माँ का शीतल आँचल 
ममता चेहरा निष्चल 
आज याद आता है 
कभी हँसाता है,
तो कभी रुलाता है। 


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