Thursday 27 March 2014

अब, फिर कब

पिछली बार 
'कांग्रेस' का भ्रस्टाचार,
अबकी बार 
'मोदी' की सरकार,
देखा बार-बार 
'आप' का अहंकार,
हर बार 
बहुत हुआ अत्याचार,

कब करेगी 
जनता प्रहार?
कब भरेगी
जनता हुंकार?
कब लगेगा 
जनता दरबार?
कब होंगे 
सपने साकार?

क्यूँ है
जनता लाचार?
क्यूँ है 
जनता बीमार?
क्यूँ है
घोटालों का अंबार
क्यूँ हैं 
समस्याएं हजार?
क्या सन 57 में 
क्रांति लेगी आकार?

कर ही लो
इस बार, दो चार, 
इस बार नहीं
तो किस बार?

नमो-नमो सब करें, जन-जन करे न कोय।
इलेक्शन आते ही, नेता टप -टप आंसू रोय। 

 पाँच साल खूब लूटा, इनसे बचा न कोय 
इलेक्शन आते ही, जनता मतदाता होय। 

                                                               ---किशन सर्वप्रिय 



1 comment:

  1. Omesh Meena:
    "कर देंगे हम इस बार ही वार
    नहीं सहेंगे इनको बार बार
    बहकेंगे नहीं डरेंगे नहीं भले ही होना पड़े दिक्कतों से दो चार "
    Kishan Sarvpriya:
    "मुझे है इसी का इंतजार"
    Omesh Meena:
    "जल्द ही होगा ख़तम आपका इन्तजार
    नहीं देनेवाले हाजिरी हम उनके दरबार"
    Kishan Sarvpriya:
    "करा दो हमें नये चेहरों के दीदार
    मिटा दो नेता जनता के बीच की दीवार"
    Omesh Meena:
    "आएगा नया सवेरा और हटेगा ये अन्धकार
    जब नेता करेंगे जनता से सिर्फ प्यार"
    Kishan Sarvpriya:
    "अब इंतजार की हद हो गई यार
    जल्दी करो भ्रष्ट सिस्टम पर वार

    सब बातों का एक ही सार,
    इस बार जनता करेगी वार,
    और नेताओं की होगी हार"

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