Friday 21 March 2014

देखो तमाशा जनता का

एक दिन आया 
इलेक्शन का भूत 
खूब सजा था पोलिंग बूथ 
जनता लड़ रही थी 
नेता जीत रहे थे 
हम तमाशा देख रहे थे।  

एक दिन आया 
इलेक्शन का नतीजा
 मनोरंजन का समय खूब बीता
जनता ताली बजा रही थी 
नेता मिठाई खा रहे थे 
 हम तमाशा देख रहे थे। 

एक दिन आया 
इलेक्शन वादों को पूरा करने का दिन 
नेता ने कहा पहले पैसे तो लूं गिन 
जनता चिल्ला रही थी 
नेता पैसा बना रहे थे 
हम तमाशा देख रहे थे। 

एक दिन आया 
सरकार का हनीमून समय बीता 
विपक्ष ने शिर खूब पीटा 
जनता वहीँ पड़ी रो रही थी 
नेता वीस गुना कमा चुके थे 
हम तमाशा देख रहे थे। 

एक दिन आया 
हमने भी सरकार बनाने कि ठानी 
जनता ने हमारी बात खूब मानी 
अब हमारी दुकान चल गयी 
जनता फिर उल्लू बन गयी 
लो देखो तमाशा जनता का।

---किशन सर्वप्रिय 

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