एक दिन आया
इलेक्शन का भूत
खूब सजा था पोलिंग बूथ
जनता लड़ रही थी
नेता जीत रहे थे
हम तमाशा देख रहे थे।
एक दिन आया
इलेक्शन का नतीजा
मनोरंजन का समय खूब बीता
जनता ताली बजा रही थी
नेता मिठाई खा रहे थे
हम तमाशा देख रहे थे।
एक दिन आया
इलेक्शन वादों को पूरा करने का दिन
नेता ने कहा पहले पैसे तो लूं गिन
जनता चिल्ला रही थी
नेता पैसा बना रहे थे
हम तमाशा देख रहे थे।
एक दिन आया
सरकार का हनीमून समय बीता
विपक्ष ने शिर खूब पीटा
जनता वहीँ पड़ी रो रही थी
नेता वीस गुना कमा चुके थे
हम तमाशा देख रहे थे।
एक दिन आया
हमने भी सरकार बनाने कि ठानी
जनता ने हमारी बात खूब मानी
अब हमारी दुकान चल गयी
जनता फिर उल्लू बन गयी
लो देखो तमाशा जनता का।
---किशन सर्वप्रिय
---किशन सर्वप्रिय
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