आज
फूल ने कहा भँवरे से, कब तक मँडराओगे।
मुरझाने के बाद, कल तो उड़ जाओगे।।
कुंए ने कहा प्यासे से, कब तक बहाओगे।
सूखने के बाद, घाट तो छोड़ जाओगे।।
छाँव ने कहा राहगीर से, कब तक ठहरोगे।
धूप आने के बाद, तुम तो चले जाओगे।।
प्यार ने कहा दोस्ती से, कब तक निभाओगे।
बरसात जाने के बाद, वेबफ़ा हो जाओगे।।
मैं ने कहा नेता से, कब तक बनाओगे।
चुनाव के बाद, सारा खून चूंस जाओगे।।
लेकिन कुछ दिन बाद ......
कल
धूप ने कहा राहगीर से, कब तक भागोगे।
प्रदूषण होने के बाद , धूप से भी जाओगे ।।
जनता ने कहा नेता से, कब तक सुलाओगे।
एक दिन क्रांति के बाद, सब मिट जाओगे।।
नदी ने कहा झरने से, कब तक इतराओगे।
समतल आने के बाद, बस पानी रह जाओगे।।
चांदनी ने कहा सितारों से, कब तक जगमगाओगे।
चाँद निकलने के बाद, सब गायब हो जाओगे।।
बिजली ने कहा अम्बानी से, कब तक एसी चलाओगे।
वायुमण्डल समाप्ति के बाद, जान से भी जाओगे।।
---किशन सर्वप्रिय
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