Thursday 14 August 2014

बेबस भगवान!

कोई तो तेरी माँ होगी
कोई तो तेरी बेटी होगी
जिसकी इज्जत चीर-चीर हुई होगी
कोई तो रिश्ता होगा,
जिसको तूने बनाया होगा।
अगर तू रिश्ते बचा नहीं सकता
तो तेरे होने का, क्या फायदा ?


गायब हो रही है-
बच्चों से मासूमियत
समाज से इन्सानियत।
भूखा सो रहा है-
मजदूर काम के विना
किसान दाम के विना।
आग सुलग रही है-
धर्म, जाति के नाम पर।
अगर तू कुछ कर नहीं सकता
तो तेरे होने का, क्या फायदा ?

मैंने अमीरों को फंसाया है तो,
तूने गरीबों को नचाया है,
मैंने 2जी, कोल चुराया है तो,
तूने ढोंगियों को बनाया है,
अगर तू मंदिर में यूंहीं बैठा रहेगा
तो तेरे होने का, क्या फायदा ?

तीसरी आँख तो मेरे पास भी है
मगर खुलती नहीं तो क्या फायदा।
सुदर्शन चक्र तो मेरे पास भी है
मगर चलता नहीं तो क्या फायदा।
अगर बेबस मैं भी हूँ, तू भी है,
तो तेरे होने का, क्या फायदा ?

ऐ खुदा तू ही कुछ कर
जरा अब तो हिमालय से उतर,
तुझे उल्टी गंगा बहानी होगी,
अगर शक्ति है तो दिखानी होगी
अब मेरा नहीं तेरे बजूद का सबाल होगा
अब नहीं तो कब दुष्टों का संहार होगा ??

---किशन सर्वप्रिय

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