Sunday 28 September 2014

ये जिंदगी

मुझे याद है वो दिन,
जब घोड़ी मचल रही थी,
दोस्त नाच रहे थे,
हम शाही सवारी कर  रहे थे।

मुझे याद है वो दिन,
जब म्यूजिक बज रहा था,
अग्नि जल रही थी,
हम सात चक्कर ले रहे थे। 

मुझे याद है वो दिन,
जब घूँघट लम्बा था,
आवाज़ धीमी थी,
हम रंगीन सपने बुन रहे थे।

मुझे याद है वो दिन,
जब कुछ बदल रहा था,
आँगन में फूल खिल रहा था,
हम खुशी से झूम रहे थे।

आज मैं लिख रहा हूँ,
वो सुन रही है।
एक पढ़ रहा है,
एक खेल रही है।
दुनिया.... कुछ पूरी पूरी लग रही है।

---किशन सर्वप्रिय 

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