Wednesday, 20 May 2015
Monday, 11 May 2015
खुशियाँ खरीदने लगा हूँ
खुशियाँ, खरीदने जब से लगा हूँ,
जिंदगी मंहगी हो गयी है।
वर्ना जो शुकून.....
पेड़ की छाँव और
चारपाई की नींद में आता था....
लस्सी के गिलास और
मिस्सी रोटी में आता था....
चौदह इंच की टीवी और
चित्रहार, रंगोली में आता था....
माँ के दुलार और
बहिन के प्यार में आता था....
आजकल,
आता ही नहीं।
पता नहीं क्यूँ?
मैं ....
बाजार में भटकता रहता हूँ!!!
---किशन सर्वप्रिय
जिंदगी मंहगी हो गयी है।
वर्ना जो शुकून.....
पेड़ की छाँव और
चारपाई की नींद में आता था....
लस्सी के गिलास और
मिस्सी रोटी में आता था....
चौदह इंच की टीवी और
चित्रहार, रंगोली में आता था....
माँ के दुलार और
बहिन के प्यार में आता था....
आजकल,
आता ही नहीं।
पता नहीं क्यूँ?
मैं ....
बाजार में भटकता रहता हूँ!!!
---किशन सर्वप्रिय
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हर बार उलझ जाती हैं, आँखें मेरी
हर बार उलझ जाती हैं , आँखें मेरी। पता नही, क्यों? वो मुस्कुराती है पलके झुकाती है शरमाती है।। अपना पता बताये बगैर ही चली जाती है।। और फिर,...
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करछुल… बटलोही से बतियाती है और चिमटा तवे से मचलता है चूल्हा कुछ नहीं बोलता चुपचाप जलता है और जलता रहता है औरत… गवें गवें उठती है…ग...
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न जाने जिंदगी में देखे कितने मेले हैं हम कल भी अकेले थे, आज भी अकेले हैं। रिश्तों की चाह में, जिंदगी की राह में जीने की आशा में, अंत ...
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बचपन में, मैं चलता था, गिरता था फिर चलता था, फ़िर गिरता था कभी न थकता था, कभी न रुकता था। न गिरने का डर था, न लगने का भय न असफलता की...
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क्या करूँ इबादत उसकी, जिसने मुझे बनाया। या करूँ इबादत उसकी, जिसने जीना मुझे सिखाया। पर क्या करूँ मैं तेरा, जिसने हर पल मुझे रुलाया। ...
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तेरी रूश्वाई से तन्हा दिल, अकेला भटकता रहा। जुर्म हमदर्द के, तन्हा सहता रहा। हमसे इतनी बेरुखी किस लिए, दर्द-ए-सितम हमने भी तो सहे। ...
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खत लिखते लिखते, लिखना सीख गया मैं । तेरा नाम तो याद रहा, अपना भूल गया मैं ।। तेरी बातों पे हँसते हँसते, हँसना सीख गया मैं । ...
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मुंह का पहला निबाला जो माँ ने खिलाया कुछ अलग स्वाद आया फिर जो हमने मुंह बनाया आज याद आता है कभी हँसाता है, तो कभी रुलाता ...
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हम पूरी साल सोते हैं। अब फिर क्यों रोते हैं। । हमसे अच्छे तो नेता होते हैं चारा से लेकर, कोयला तक खाते हैं पुल, तालाब गायब भी करते...
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पिछली बार 'कांग्रेस' का भ्रस्टाचार, अबकी बार 'मोदी' की सरकार, देखा बार-बार 'आप' का अहंकार, हर बार ...
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मैं पटरी पर रहता हूँ और हमेशा रहता हूँ दशकों से खड़ा हूँ और सजग अडा हूँ। किसी को लाल, किसी को पीला, तो किसी को हरा रंग ...