Tuesday 17 November 2015

छप्पन इंच का सीना

मुझे याद है तेरा वादा
तूने पूरा किया न आधा
किया क्यों इतना ज्यादा
जब नहीं था तेरा इरादा

देख लिया...
तेरे छप्पन इंच का सीना
और अच्छे दिनों का जीना
अरे बाबू जरा विदेशी चश्मा उतार कर देखो
यहां छप्पन इंच के छः हैं और छः के छप्पन

तेरे हर जुमले को गौर से सुना है
तेरे हर पल को तेरे संग जिया है
लेकिन अब तूने ये क्या किया है?
मुझे छोड़ गाय को अपना लिया है!

लगता है...
सुर्खियों में रहना तेरी आदत हो गई है
सब भूल जाना मेरी इबादत हो गई है

---किशन सर्वप्रिय 

Monday 2 November 2015

क्या हुआ अगर मुश्किल बडी है तो...

मुश्किल बडी हो जाती है तब,
जब हम छोटी छोटी मुश्किलों से बचते हैं।
जैसे सौ झूंठ बोलने पडते हैं तब,
जब एक झूंठ छुपाने की कोशिश करते हैं।।

मुश्किलों से बचके नही,
मुश्किलों से लडके ही लोग इतिहास रचते हैं।
जैसे लहरों से डरके नही,
लहरों को काटके ही पतवार किनारे लगते हैं।।

क्या हुआ अगर मुश्किल बडी है तो,
आओ हम मिलकर मुकाबला करते हैं।
अगर मुश्किल बडी है तेरी भी मेरी भी,
तो आओ डटकर मुकाबला करते हैं।।

---किशन सर्वप्रिय

हर बार उलझ जाती हैं, आँखें मेरी

हर बार उलझ जाती हैं , आँखें मेरी। पता नही, क्यों? वो मुस्कुराती है पलके झुकाती है शरमाती है।। अपना पता बताये बगैर ही चली जाती है।। और फिर,...