Tuesday, 17 November 2015

छप्पन इंच का सीना

मुझे याद है तेरा वादा
तूने पूरा किया न आधा
किया क्यों इतना ज्यादा
जब नहीं था तेरा इरादा

देख लिया...
तेरे छप्पन इंच का सीना
और अच्छे दिनों का जीना
अरे बाबू जरा विदेशी चश्मा उतार कर देखो
यहां छप्पन इंच के छः हैं और छः के छप्पन

तेरे हर जुमले को गौर से सुना है
तेरे हर पल को तेरे संग जिया है
लेकिन अब तूने ये क्या किया है?
मुझे छोड़ गाय को अपना लिया है!

लगता है...
सुर्खियों में रहना तेरी आदत हो गई है
सब भूल जाना मेरी इबादत हो गई है

---किशन सर्वप्रिय 

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