Tuesday 5 January 2016

सीमा पर लड़ने जाऊं

मन करता है,
मैं भी सीमा पर लड़ने जाऊं
सीना तान खड़ा हो जाऊं
दुश्मन को मार भगाऊं
देश में अमन चैन लाऊं
और ये रोज रोज की
आफत से मुक्ति पाऊं।

क्यों वीरों का खून बहाऊं ?
मांथों का सिंदूर मिटाऊं ?
मन करता है,
मैं भी सीमा पर लड़ने जाऊं
सीना तान खड़ा हो जाऊं
दुश्मन को मार भगाऊं।

बहुत हो गई ये कूटनीति
बहुत देख ली ये राजनीति
मन करता है,
दुश्मन का सिर काट के लाऊं
भारत मां के चरणों में चढ़ाऊं
मैं भी सीमा पर लड़ने जाऊं
मैं भी सीमा पर लड़ने जाऊं।

क्यों बच्चों को
करगिल की याद दिलाऊं ?
पठानकोट की कहानी सुनाऊं ?
मन करता है
मैं भी देश पर न्यौछावर हो जाऊं
भारत माता के बेटे का फर्ज निभाऊं।

---किशन सर्वप्रिय 



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