Wednesday, 29 June 2016

दीवारों को ढहाने की जरुरत है...

घरों के अंदर भी
कई दीवारें हैं।
दीवारों में
कई दरारें हैं।
दरारों में
रिसता पानी है।
हर घर की
यही कहानी है।

मम्मी की पापा से
पापा की भैया से
तकरारें हैं।
हर किसी की
हर किसी से
शिकायत हजारें हैं।
घुटन में पिसता
हर रिश्ता है।
हर घर का
यही किस्सा है।

दीवारों को
ढहाने की जरुरत है।
रूठों को
मनाने की जरूरत है।
रिश्तों को
बचाने की जरूरत है।

जरुरत है तो
गलतफहमियां मिटाने की
खुलकर बातें बताने की
अपनों को अपनाने की
घर को घर बनाने की।
---किशन सर्वप्रिय 

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