Wednesday, 20 August 2014

बचपन की याद

मुंह का पहला निबाला
जो माँ ने खिलाया 
कुछ अलग स्वाद आया 
फिर जो हमने मुंह बनाया 
आज याद आता है 
कभी हँसाता है,
तो कभी रुलाता है।

जिसने हर पल मुझे रुलाया

क्या करूँ इबादत उसकी,
जिसने मुझे बनाया।
या करूँ इबादत उसकी,
जिसने जीना मुझे सिखाया।
पर क्या करूँ मैं तेरा,
जिसने हर पल मुझे रुलाया।

अबला बेचारी

यारों मैं जाग रहा हूँ, तुम सो रहे हो।
यारों मैं रो रहा हूँ, तुम हँस रहे हो।
आज सीख एक तुमको लेनी होगी
ऐसी गलती तुमको न करनी होगी।

Thursday, 14 August 2014

बेबस भगवान!

कोई तो तेरी माँ होगी
कोई तो तेरी बेटी होगी
जिसकी इज्जत चीर-चीर हुई होगी
कोई तो रिश्ता होगा,
जिसको तूने बनाया होगा।
अगर तू रिश्ते बचा नहीं सकता
तो तेरे होने का, क्या फायदा ?

Friday, 8 August 2014

Truth of Dreaming in Darkness

सुबह जब पलकों से नींद उडी,
पहली नजर धर्मपत्नी पर पड़ी।
हाथ में चाय लिए सामने थी खड़ी।
प्राणनाथ जरा चाय पी लीजिए,
फिर उठके नहा लीजिए।

हर बार उलझ जाती हैं, आँखें मेरी

हर बार उलझ जाती हैं , आँखें मेरी। पता नही, क्यों? वो मुस्कुराती है पलके झुकाती है शरमाती है।। अपना पता बताये बगैर ही चली जाती है।। और फिर,...