Wednesday 3 December 2014

जीवन सार (1)

मैं उस मंजिल
          की ओर निकला।
जो बहुत दूर लगती थी।
कांटों से भरी लगती थी।
आज छोटी लगती है।।

मैं उस चाहत
         को पाने निकला।
जो जिंदगी लगती थी।
दिल की धड़कन लगती थी।
आज बेगानी लगती है।।

जब मंजिल मिली,
                  मंजिल बदल गयी।
जब चाहत मिली,
                 चाहत बदल गयी।
ये समझते समझते,
                जिंदगी निकल गयी।।

   ---किशन सर्वप्रिय 

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