Wednesday 28 January 2015

मन की बात

मैं इन बडे लोगों की
महफिल में क्या कहूँ।
जाम पीना मुझे आता नही।
खाली बातें मैं बनाता नही।

करता हूँ, करते जाता हूँ।
विना पंख उडना, मुझे आता नही।। "

Saturday 24 January 2015

जीवन सार (2)

ये पंक्तियाँ, मुझे तब दोहराने का मन करता है। जब एक सेवा निवृत्त व्यक्ति कहता है की, मैंने, अपने सेवा काल में अपनों से, अपने आप से और समाज से दूरियाँ बना ली थी। आज, जब मैं सेवा निवृत्त हो चुका हूँ तो, घर का आँगन भी, तो कॉलोनी का बगीचा भी; रेल का सफर भी, तो जिंदगी की डगर भी मुझे अकेले चलना पड़ता है। मैं, अब अपनों को अपनाना चाहता हूँ, पर किसी को मेरे लिए समय ही कहाँ।

सुन, तेरा रास्ता वहीँ से गुजरता है, जिससे मैं गुजर चुका हूँ। ये भी बता देता हूँ, आगे बहुत मोड़ आयेंगे। अभी तक जो, तू पगडण्डियाँ पकड़ता आया है, उसको छोड़ दे। जब मौका मिला है, सही रास्ते जाने का, तो एक लकीर बना और सबको उस पर ला। सच कहता हूँ कल तू मुस्कुराता मिलेगा, अपनों की मुस्कुराहट पर। वरना, हँस भी नही पायेगा, अनंत के एकांत में।

जो दुनिया देखी थी,
       बुरी लगती थी।
पर दुनिया तो,
       मुझसे बनती थी।
जब मैंने…...... जब मैंने...
अपने आप को बदल दिया।
तो दुनिया बदल गयी।

जरुरत
खुद को बदलने की थी,
कुछ करने की थी।
पर मैं पड़ौसी बदलता रहा।

सार समझ में तब आया,
जब खुद को.………
मेले में.……………
खड़ा अकेला पाया।

--- किशन सर्वप्रिय

Sunday 4 January 2015

दिल की बातें

क्या करूँ उन आँखों का
जो तुमसे लड़ गयी,
क्या करूँ उन बातों का
जो तुमसे हो गयी,
अब तो आँखों की बातें
दिल में उतर गयी।

ये आँखों की बातें,
आँखों से कहने दो
यूँ न नजरें चुराओ तुम।
ये दिल की बातें,
दिल को समझने दो
यूँ न धड़कन बढ़ाओ तुम।
आज जो होना है,
होने दो
यूँ न शरमाओ तुम।
अब मान भी जाओ तुम।।

---किशन सर्वप्रिय 

जो होना है, होने दो

आज
जो होना है, होने दो।
घटना
घटती है तो, घटने दो।
समय
थमता है तो, थमने दो।
वादियाँ
महकती हैं तो, महकने दो।

मन
बहकता है तो, बहकने दो।
गुफ़्तगू
होती है तो, होने दो।
अरमान
जगते हैं तो, जगने दो।
नजदीकियां
बढ़ती हैं तो, बढ़ने दो।
दूरियाँ
घटती हैं तो, घटने दो।

महक
फैलती है तो, फैलने दो।
सांसे
घुलती हैं तो, घुलने दो।
जुल्फें
बिखरती हैं तो, बिखरने दो।
लब
छूते हैं तो, छूने दो।
तन
दहकता है तो, दहकने दो।
जिस्म
 मिलते हैं तो, मिलने दो।
रिदम
बनती है तो, बनने दो।

मर्यादा
टूटती है तो, टूटने दो।
लाज 
उतरती है, तो उतरने दो।
जमाना
जलता है तो, जलने दो।

जिसको
जो कहना है, कहने दो।

आज न रोको हमें
आज न टोको हमें।
हमें मिल जाने दो,
तुम में घुल जाने दो।
ख्वाब जो देखे हमने,
पुरे हो जाने दो।
बस यही तमन्ना है,
यही इबादत,
यही मंजिल।

---किशन सर्वप्रिय

दिल की बातें


हर बार उलझ जाती हैं, आँखें मेरी

हर बार उलझ जाती हैं , आँखें मेरी। पता नही, क्यों? वो मुस्कुराती है पलके झुकाती है शरमाती है।। अपना पता बताये बगैर ही चली जाती है।। और फिर,...