Sunday 4 January 2015

जो होना है, होने दो

आज
जो होना है, होने दो।
घटना
घटती है तो, घटने दो।
समय
थमता है तो, थमने दो।
वादियाँ
महकती हैं तो, महकने दो।

मन
बहकता है तो, बहकने दो।
गुफ़्तगू
होती है तो, होने दो।
अरमान
जगते हैं तो, जगने दो।
नजदीकियां
बढ़ती हैं तो, बढ़ने दो।
दूरियाँ
घटती हैं तो, घटने दो।

महक
फैलती है तो, फैलने दो।
सांसे
घुलती हैं तो, घुलने दो।
जुल्फें
बिखरती हैं तो, बिखरने दो।
लब
छूते हैं तो, छूने दो।
तन
दहकता है तो, दहकने दो।
जिस्म
 मिलते हैं तो, मिलने दो।
रिदम
बनती है तो, बनने दो।

मर्यादा
टूटती है तो, टूटने दो।
लाज 
उतरती है, तो उतरने दो।
जमाना
जलता है तो, जलने दो।

जिसको
जो कहना है, कहने दो।

आज न रोको हमें
आज न टोको हमें।
हमें मिल जाने दो,
तुम में घुल जाने दो।
ख्वाब जो देखे हमने,
पुरे हो जाने दो।
बस यही तमन्ना है,
यही इबादत,
यही मंजिल।

---किशन सर्वप्रिय

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