Tuesday 5 July 2016

क्या रखा है समुन्दर के किनारे बैठने में......

देखो
ये भी बैठा है
वो भी बैठा है
समुन्दर के किनारे तो
हर कोई बैठा है।
क्या रखा है बैठने में?
किनारे तो ढह जाते हैं
सपने बह जाते हैं,
बैठने वाले
जिंदगी की दौड़ में
पीछे रह जाते हैं।
लगाना है तो
डुबकी लगाओ
बार बार लगाओ
पूरे मन से लगाओ
गहरे पानी में जाओ
चुन कर मोती लाओ।
मोती जो लायेगा
पार समुन्दर हो जायेगा
वरना
हारा हुआ खिलाड़ी तो
कहलायेगा ही कहलायेगा।
---किशन सर्वप्रिय 

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