Sunday 6 August 2017

इस दुनिया का दस्तूर निराला

इस दुनिया का दस्तूर निराला
जहां भजते लोग मंदिर में माला,
उनको पता नही है क्या?
यहाँ कोई नही है बचने वाला।

हाथ में लिये तुलसी की माला
जो करते यहाँ घोटाला,
उनको पता नही है क्या?
पों का माल पों में है जाने वाला।

जिनका चेहरा है भोला भाला
यहाँ रखते हैं मन काला,
उनको पता नही है क्या?
चेहरे से कुछ नही है छुपने वाला।

यहाँ अच्छे लोगों का भी है हाल निराला
रहते हैं लगा मुंह पर ताला,
उनको पता नही है क्या?
मनुष्य जीवन फिर नही है मिलने वाला।

---किशन सर्वप्रिय 

No comments:

Post a Comment

हर बार उलझ जाती हैं, आँखें मेरी

हर बार उलझ जाती हैं , आँखें मेरी। पता नही, क्यों? वो मुस्कुराती है पलके झुकाती है शरमाती है।। अपना पता बताये बगैर ही चली जाती है।। और फिर,...