Sunday 6 August 2017

मचलता है...ये मनचला मन

मचलता है...
ये मनचला मन
कहता है
चल कहीं, दूर चल
पंक्षी बन
अनंत गगन में उड़
क्यूँ डरता है
उड़ने से
तू पंख फड़फड़ाने से
बस पंख खोल तो सही
खुद ब खुद उड़ जायेगा
अथाह गगन भी
छोटा पड़ जाएगा
तू हाथ किसी के
न आएगा
ये जग,
ये जग भी
तेरे किस्से सुनायेगा
ये मनचला मन
कहता है
चल कहीं, दूर चल।।

---किशन सर्वप्रिय 

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