जब तुम जा रहे थे
हम मुस्कुरा रहे थे
तुम्हारे जाने का गम भुला रहे थे
दिल को दारू पिला रहे थे।।
दिल-ए-गुलज़ार खिला हुआ था
जब साथ उसका मिला हुआ था।
आज दिल के टुकड़े किये जा रहा हूँ
आंसू-ए-गम पिये जा रहा हूँ।।
अब इश्क़ का आलम ऐसा, कि
मोहब्बत-ए-जुर्म किये जा रहा हूँ
दवा-ए-दारू पिये जा रहा हूँ।।
महफ़िल में उसके, मैं गाये जा रहा हूँ
दरिया में अश्रु, बहाये जा रहा हूँ।
गम जो तूने दिये, तुझे सुनाये जा रहा हूँ।
---किशन सर्वप्रिय
हम मुस्कुरा रहे थे
तुम्हारे जाने का गम भुला रहे थे
दिल को दारू पिला रहे थे।।
दिल-ए-गुलज़ार खिला हुआ था
जब साथ उसका मिला हुआ था।
आज दिल के टुकड़े किये जा रहा हूँ
आंसू-ए-गम पिये जा रहा हूँ।।
अब इश्क़ का आलम ऐसा, कि
मोहब्बत-ए-जुर्म किये जा रहा हूँ
दवा-ए-दारू पिये जा रहा हूँ।।
महफ़िल में उसके, मैं गाये जा रहा हूँ
दरिया में अश्रु, बहाये जा रहा हूँ।
गम जो तूने दिये, तुझे सुनाये जा रहा हूँ।
---किशन सर्वप्रिय